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Shayaris 1




करू गुमान अब वो गुमान नही है,
थी जो मोहब्बत अब वो इंसान नही है,
यूँ तो समेट लू खुद में हर इंसान को,
पर बदलती फितरत झूठी मोहब्बत 
हमारी पहचान नही है।।



उसने इतना कह के फ़ोन रख दिया कि 
कोई आ गया है..

मैं आजतक समझ ना पाया घर में या जिंदगी में...



जिन्हें नींद नहीं आती,
उन्ही काे है मालूम ... 

सुबह आने में 
कितने ज़माने लगते हैं ....!!
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